पुरोला गांव में पांच वर्ष के अंतराल पर हुई थाती पूजन के अंतिम दिवस वन देवियों अकराल्टियाँ की पूजा का अदभुत दर्शन । 365 थातियो के पुजारी पं हरिकृष्ण उनियाल ने वैदिक मंत्रोच्चार से वन देवियों का आह्वान कर फूल-प्रसाद से पूजा अर्चना की । ततपश्चात पांडवो की पस्वाओ व अन्य देवताओं ने ओतार देकर प्रसन्नता जाहिर की ।यहां ये भी बता दे कि स्थानीय संस्कृति से अनभिज्ञ कुछ पत्रकार व बुद्धिजीवी पांडवों के अवतरण यानी पांडो ओतार को अज्ञान स्वरूप पांडव नृत्य लिखते हैं जो कि पूरी तरह गलत व स्थानीय आस्था का उपहास हैं

 गजेन्द्र सिंह चौहान , पुरोला

पुरोला तहसील के पुरोला गांव में पांच वर्ष के अंतराल के बाद हो रही थाती पूजन के अंतिम दिवस आज बड़ी संख्या में श्रद्धालु थाती माता का आशीर्वाद प्राप्त करने को पहुंचे ।


आज अंतिम यहां की वन देवीयों की पूजा अर्चना की गई व उन्हें फूल-प्रसाद अर्पित किया गया । 365 थातियो के पुजारी पंडित हरिकृष्ण उनियाल वैदिक रीति रिवाज से वन देवियों का आह्वान कर उनकी पूजा अर्चना की ।

बताते चले कि वन देवियों को स्थानीय भाषा मे मात्री कहा जाता है तथा मान्यता के अनुसार मात्री कुवांरी कन्याएं है । अलग - अलग स्थानों व गांवों में पूजी जाने वाली मात्रियाँ विभिन्न क्षेत्रों में निवास करती है ।

पुरोला की मात्रियाँ अक्रुरु नामक पहाड़ पर निवास करती है जिसकारण इन्हें अकराल्टियाँ कहा जाता है । जैसे ही वन देवियों की पूजा अर्चना का कार्यक्रम पूर्ण हुआ तत्पश्चात प्रसन्न पांडवों की पस्वाओ के साथ - साथ अन्य देवताओं ने अवतार देकर  प्रसन्नता जाहिर की ।

यहां ये भी बता दे कि स्थानीय संस्कृति से अनभिज्ञ कुछ पत्रकार व बुद्धिजीवी पांडवों के अवतरण यानी पांडो ओतार को अज्ञान स्वरूप पांडव नृत्य लिखते हैं जो कि पूरी तरह गलत व स्थानीय आस्था का उपहास हैं

 वन देवियों की पूजा के बाद रात्रि में थाती माता को भूमिगत ढका जाएगा व ग्रामीणों की खुसहाली के लिए गांव के चारो ओर क्षेत्र के इष्टदेवताओ राजा रघुनाथ ओड़ारु- जखण्डी महाराज की गरिमामयी उपस्थिति में सूत घुमाया जायेगा । साथ ही गांव के चारो प्रवेश द्वार पर घाट बन्दन किया जायेगा ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ