Trump tarriff and India- US strategic partnerships, भारत-अमेरिका संबंध रणनीतिक साझेदारी से वैश्विक नेतृत्व तक

भारत-अमेरिका संबंध : रणनीतिक साझेदारी से वैश्विक नेतृत्व तक

नई दिल्ली।
भारत और अमेरिका के बीच संबंध आज दुनिया की सबसे प्रभावशाली द्विपक्षीय साझेदारियों में से एक बन चुके हैं। लोकतंत्र, समान मूल्यों और वैश्विक शांति की साझा सोच के आधार पर दोनों देश न केवल आर्थिक, बल्कि रणनीतिक, तकनीकी और रक्षा मोर्चे पर भी एक-दूसरे के अहम सहयोगी बन गए हैं।






ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत-अमेरिका संबंधों की शुरुआत 1947 में भारत की आज़ादी के साथ ही हुई थी। शुरुआती दशकों में शीत युद्ध की राजनीति और गुटनिरपेक्षता के कारण दोनों देशों के संबंधों में दूरी बनी रही। परंतु 1990 के दशक में वैश्वीकरण और आर्थिक सुधारों के बाद इन रिश्तों में नई ऊर्जा का संचार हुआ।

रणनीतिक साझेदारी का विस्तार

2005 में दोनों देशों के बीच सिविल न्यूक्लियर समझौते ने द्विपक्षीय संबंधों को एक नई दिशा दी। इसके बाद से रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग लगातार बढ़ता गया।
आज भारत अमेरिका का मुख्य रणनीतिक साझेदार है — इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए दोनों देश मिलकर काम कर रहे हैं।

रक्षा और सुरक्षा सहयोग

भारत और अमेरिका के बीच कई महत्वपूर्ण रक्षा समझौते हुए हैं, जैसे LEMOA, COMCASA, BECA, जिनसे दोनों देशों की सेनाओं के बीच पारस्परिकता और सूचना साझा करने की प्रक्रिया मजबूत हुई है।
अमेरिकी रक्षा कंपनियाँ अब भारत में “मेक इन इंडिया” के तहत रक्षा उपकरण निर्माण में भी भाग ले रही हैं। हाल ही में GE-414 इंजन समझौता भारत के स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान कार्यक्रम के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है।

आर्थिक और तकनीकी सहयोग

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 200 अरब डॉलर के पार पहुंच चुका है।
टेक्नोलॉजी सेक्टर में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल जैसी अमेरिकी कंपनियाँ भारत के डिजिटल विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं। साथ ही भारत-अमेरिका आईटी और स्टार्टअप सहयोग ने नई आर्थिक संभावनाओं के द्वार खोले हैं।

शिक्षा और प्रवासी भारतीयों की भूमिका

अमेरिका में लगभग 45 लाख से अधिक भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक पुल का काम कर रहे हैं।
भारतीय विद्यार्थी बड़ी संख्या में अमेरिकी विश्वविद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं, जिससे दोनों देशों के बीच शैक्षणिक संबंध और मजबूत हो रहे हैं।

भविष्य की दिशा

भारत-अमेरिका संबंध अब “साझेदारी” से आगे बढ़कर “वैश्विक नेतृत्व” की दिशा में अग्रसर हैं। जलवायु परिवर्तन, सेमीकंडक्टर निर्माण, अंतरिक्ष अन्वेषण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में सहयोग आने वाले वर्षों में और गहरा होने की संभावना है।

निष्कर्ष

भारत और अमेरिका के बीच संबंध केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और वैश्विक विकास की साझा दृष्टि पर आधारित हैं। आने वाले दशक में यह साझेदारी विश्व की राजनीति और अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।



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