गजेन्द्र सिंह चौहान
जन सरोकारों के प्रति समर्पित, जनता के बीच सदैव उपलब्ध दीपक बिजल्वाण टिहरी लोकसभा से कांग्रेस के उम्मीदवार बनने जा रहे हैं । भारत के गणतंत्र बनने के बावजूद टिहरी लोकसभा सीट पर अधिकांश समय राजशाही का ही कब्जा रहा है । दीपक बिजल्वाण के उम्मीदवार बनने से बीजेपी खेमे को झटका लगना स्वाभाविक है जिसका कारण गत विधानसभा चुनाव में उन्हें यमनोत्री विधानसभा में भाजपा उम्मीदवार से 7 हजार अधिक वोट पड़े हैं ।
बीजेपी अबतक अपनी जीत पक्की समझ रही थी व जनता के बीच नदारद रहकर सिर्फ लाभार्थी सम्मेलन करवाकर चुनाव में उतरना चाह रही थी । दीपक बिजल्वाण फेक्टर से बीजेपी के हर छोटे बड़े कार्यकर्ता के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है । दीपक बिजल्वाण उत्तरकाशी जनपद के जिला पंचायत अध्यक्ष है ओर वे बड़े ही नाटकीय व रोमांचक मुकाबले में जिला पंचायत अध्यक्ष बने हैं ।
लोकसभा के महा मुकाबले में मोदी फेक्टर के सहारे एक बार जीत की उम्मीद लगाई महारानी ने कभी सोचा भी नही होगा कि दीपक फेक्टर के कारण विजय रथ के पहिये रुक सकते हैं । कारण दीपक बिजल्वाण के चुनाव प्रचार की शैली बहुत तिब्रगामी है । वे रात-दिन एक करके चुनाव प्रचार कर विरोधी उम्मीदवार के मुकाबले मनोवैज्ञानिक जीत दर्ज कर लेते हैं ।
जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के बाद दीपक बिजल्वाण ने जनपद के लगभग हर गांव का भर्मण किया है , उन्होंने युवाओं व महिलाओं से सीधा संवाद कर उनकी समस्याओं को सदैव गंभीरता से लिया है । दूसरी तरफ बीजेपी उम्मीदवार महारानी का न तो पार्टी कार्यकर्ताओं से कोई सीधा संवाद है ओर न ही उन्होंने कभी जनता की समस्याओं को समझने की कोशिश की ।
एक तरफ कांग्रेस खेमे में दीपक बिजल्वाण की उम्मीदवारी से उत्साह है तो वही भाजपा खेमे में किला दरकने की सुगबुगाहट होने लगी है । कारण महारानी को भाजपाई एक ऐसी मजबूरी मानते है जो मोदी जी के नाम पर उठानी पड़ रही है ।
टिहरी लोकसभा से दीपक के उम्मीदवार बनने से भाजपा जहां एक तरफ बैकफुट पर आ गई है वही कांग्रेस में ऊर्जा का संचार हुआ है । दीपक के गृहक्षेत्र पुरोला में लोग उनकी उम्मीदवारी से उत्साहित है ओर राजशाही से मुक्ति का इसे उचित अवसर मान रही है । पुरोला कांग्रेस नगर अध्यक्ष कबिन्दर असवाल ने दीपक की उम्मीदवारी पर प्रशन्नता जाहिर करते हुए समस्त जनता से राजशाही के खिलाफ एकजुट होकर दीपक बिजल्वाण को जिताने की अपील की है । उन्होंने कहा कि सवाल सिर्फ चुनाव का नही है सवाल उस चुनौती का है जिस वजह से हमारी ऊपर एक ऐसी प्रतिनिधि थोपी गई जिसने संसद में कभी हमारी आवाज को नही उठाया है ।
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