गजेन्द्र सिंह चौहान
शेयर मार्केट के नित्य ऊपर या निचे जाने की खबरों को सुनकर हर किसी की इच्छा ये जानने की होती है कि आखिर शेयर बाजार है क्या ? तो शेयर का मतलब सीधे शब्दों में कहे तो हिस्सेदारी है , ठीक उसी तरह जैसे कि हमारी पैतृक संपत्ति में हम सभी भाई बहनों की हिस्सेदारी होती है । जिस तरह से प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त में बिचौलिए होते हैं ठीक उसी तरह शेयरों की खरीद फरोख्त में बिचौलिए यानी कि स्टॉक ब्रोकर होते हैं ।
प्रोपर्टी की खरीद फरोख्त में जिस तरह दलालों का कमीशन होता है ठीक उसी तरह शेयर की खरीद फरोख्त में स्टॉक ब्रोकर का भी कमीशन होता है । प्रोपर्टी का रिकार्ड खाता खतौनी में होता है ठीक उसी तरह शेयर का रिकार्ड डीमेट एकाउंट में होता है । जिस तरह खतौनी का रिकार्ड तहसील में सुरक्षित होता है ठीक उसी तरह डीमेट एकाउंट का रिकॉर्ड भी एनएसडीएल व सीडीएसएल के पास सुरक्षित रहता हैं ।
शेयरों की खरीद प्रकिर्या ऑनलाइन होने की वजह से इनके दाम रियल टाइम में खरीदने व बेचने वालों की संख्या व उनके द्वारा लगाए गए भाव के आधार पर बदलते रहते हैं ।
तो फिर शेयर बाजार में इन्वेस्ट करना रिस्क क्यो है ?
शेयर बाजार में इन्वेस्ट करना रिश्क इसलिए होता है कि हम जिस कंपनी के शेयर हम खरीदने जा रहे हैं या खरीद चुके हैं उस कंपनी के बारे में हमे कितनी जानकारी है, वो क्या बिजनेस करती है, उस पर कितना कर्जा है , कंपनी प्रॉफिट में है या नही आदि ।
शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने से पहले बहुत सी बातों को जानना अत्यंत आवश्यक होता हैं । नये लोगो को बहुत सोच समझ कर इन्वेस्ट करना चाहिए ओर कम से कम तीन साल तक खरीदे गए शेयर बेचने नही चाहिये तभी शेयर बाजार से फायदा भी होगा व अच्छी तरह से समझ भी होगी ।
0 टिप्पणियाँ