पुरोला/देहरादून, 14 सितम्बर 2025।
प्रांतीय अभियंत्रण संघ, लोक निर्माण विभाग, पुरोला ने मुख्य अभियंता एवं विभागाध्यक्ष, लोक निर्माण विभाग, उत्तराखंड को ज्ञापन प्रेषित कर जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। संघ का कहना है कि जिलाधिकारी ने द्वेषभाव से कार्य करते हुए अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग, श्रीनगर के खिलाफ अनुचित रूप से प्राथमिकी दर्ज कराई है, जो अभियंताओं के मनोबल को गिराने वाली कार्रवाई है।
क्या है मामला
संघ ने ज्ञापन में कहा कि 11 सितम्बर को भारी वर्षा के चलते श्रीनगर–बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग का लगभग 40–45 मीटर हिस्सा ध्वस्त हो गया था। इस आपदा के बीच अधिशासी अभियंता एवं विभागीय कार्मिकों ने जान जोखिम में डालकर मार्ग को सुचारू करने का प्रयास किया। बावजूद इसके, जिलाधिकारी पौड़ी ने प्राथमिकी दर्ज कराई, जबकि यह तकनीकी दृष्टि से अव्यवहारिक व अव्यावहारिक मांग थी कि तत्काल स्थायी सुधार कार्य किया जाए।
संघ ने स्पष्ट किया कि नदी कटाव के कारण हुए नुकसान की मरम्मत के लिए तकनीकी रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर भारत सरकार को भेजी जा चुकी है, और बिना स्वीकृति व धन आवंटन के स्थायी उपचार संभव नहीं है।
संघ ने इसे जिलाधिकारी की “हठधर्मिता व तानाशाही” करार दिया। कहा गया कि इस कार्रवाई से न केवल लोक निर्माण विभाग बल्कि प्रदेश के अन्य तकनीकी विभागों के अभियंता भी आक्रोशित हैं।
प्रांतीय कार्यकारिणी की आपात बैठक में निर्णय लिया गया कि 15 सितम्बर को अभियंता सभी जिलाधिकारियों के माध्यम से ज्ञापन भेजेंगे। तथा 16 सितम्बर को विधायक/सांसदों के जरिए ज्ञापन शासन तक पहुंचाया जाएगा।
अभियंता काली पट्टी बांधकर कार्य करेंगे।
यदि 16 सितम्बर तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, तो 17 सितम्बर को प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक में आगे की आंदोलनात्मक रणनीति तय की जाएगी।
मुख्य मांगें
1. जिलाधिकारी पौड़ी द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी को तत्काल निरस्त किया जाए।
2. जिलाधिकारी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाए।
3. यदि उनके आदेशों से आपदा राहत कार्य प्रभावित होते हैं, तो आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए।
4. भविष्य में जिलाधिकारी पद पर ऐसे अधिकारियों की ही नियुक्ति हो जो वास्तविक परिस्थितियों को समझते हुए समन्वय बना सकें।
संघ ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र आवश्यक कदम नहीं उठाए तो प्रदेशव्यापी अभियंता आंदोलन की जिम्मेदारी शासन/सरकार की होगी।
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