गजेन्द्र सिंह चौहान पुरोला
जनपद उत्तरकाशी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों का प्रथम चरण कल यानी 24 जुलाई को सम्पन्न हो गया है। ऐसे में जनपद की रामा वार्ड जिला पंचायत सीट पर जनपद ही नहीं अपितु पूरे प्रदेश की नजर है। रामा वार्ड की सीट की अहमियत कितनी है, इस बात का अंदाजा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट के द्वारा खुद भाजपा समर्थित प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार में उतरने से लगाया जा सकता हैं।
रामा वार्ड से निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष सतेंद्र राणा व पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष पुरोला हरिमोहन सिंह सहित चार प्रत्याशियों का भाग्य मतपेटियों में कैद है। रामा वार्ड में प्रचार अभियान में शुरुआत में ही बढ़त बना चुके दीपक को रोकने के लिए भाजपा ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी । सतेंद्र राणा के लिए प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, प्रदेश मिडिया प्रभारी मनबीर चौहान, विधायक दुर्गेश्वर लाल , भाजपा जिलाध्यक्ष नागेंद्र चौहान, जिला महामंत्री पवन नोटियाल, मंडल अध्यक्ष रामचंद्र पंवार, पूर्व मंडल अध्यक्ष जगमोहन पंवार, पूर्व डीपीसी गोविन्द राम, ओबीसी आयोग सदस्य मोहब्बत नेगी, वरिष्ठ भाजपा नेता बलदेव रावत व ओमप्रकाश नौडियाल सहित भाजपा के प्रदेश, जिला व मंडल स्तरीय नेताओं ने वोट मांगे। एक प्रत्याशी के लिए इतने नेताओं द्वारा वोट मांगना हर किसी के लिए आश्चर्य हो सकता है।
भाजपा के इतने नेताओं द्वारा वोट मांगने के पीछे एक ही कारण था ओर ओ कारण था दीपक बिजल्वाण। यहां ये भी समझना आवश्यक है कि उपरोक्त सभी नेता रामा वार्ड में वोट मांगने मठ वार्ड जिला पंचायत सीट से गए पर वहां से चुनाव लड़ रही भाजपा समर्थित शोभा बोरियाण के लिए वोट मांगने उपरोक्त में से सिर्फ चार ही नेता पहुंचे।
अब सवाल ये हैं कि आखिर दीपक बिजल्वाण इतनी बड़ी शख्सियत बनी कैसे जो भाजपा को पूरी ताकत उन्हें रोकने के लिए लगानी पड़ी । दीपक के पास सबसे बड़ी ताकत उनकी वोटरों के साथ सीधा संवाद होना है। भाजपा के नेताओं के पास भाषण देने की जितनी अच्छी कला है उससे अधिक उनका जनता से दूरी बनाना हर चुनाव में नुकसान दायक सिद्ध हो रहा हैं। आखिरी समय में भाजपा ने पूरी ताकत दीपक को भ्रष्टाचारी सिद्ध करने में खर्च कर दी पर करोड़ो रूपये की सांसद निधि का एक भी बोर्ड दिखा पाने में असमर्थ रहे ।
गत विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा को पुरोला में हुए हर चुनाव में मुंह की खानी पड़ी है, जिसका सबसे बड़ा कारण भाजपा नेताओं में पद मिलने के बाद प्रोटोकाल में रहना है। भाजपा का चाहे मंडल स्तरीय पदाधिकारी हो या जनपद स्तरीय पदाधिकारी हर कोई जनता से दूरी बनाकर संगठन को मज़बूत करने की बात करता आया है। इन सबका परिणाम था कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के कुल सदस्य संख्या से भी आधे मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया था । उसके बाद नगर पालिका पुरोला के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को मिले मत कांग्रेसी प्रत्याशी को मिले मतों के जीत के अंतर के बराबर नहीं थे ।
दीपक बिजल्वाण का व्यवहार भाजपा नेताओं से उलट है, उनका जनता से सीधा संवाद, संकट के समय मदद के लिए हर संभव सहायता करना व कार्यकर्ताओं को व्यस्थता के बावजूद फोन करना सबसे बड़ा कारण है जो जनता के बीच उनकी गहरी पैठ बनाती हैं।
चुनाव मैदान में दीपक के साथ कोई बड़ा चेहरा नहीं था किंतु युवाओं के बीच लोकप्रियता, गांव गांव की महिलाओं से सीधा संवाद व बुजुर्गों के बीच मिलनसार की छवि ने चुनाव मैदान में में उन्हें मजबूती दी। अब जबकि मतदान हो चुका हैं, एग्जिट पोल के नतीजे भी सामने आ जायेंगे व मतगणना के बाद हार जीत भी पता चल जाएगी। पर ये चुनाव भाजपा नेताओं के लिए एक नजीर जरूर बना की जनता के बीच संवाद जरूरी है।
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