Purola cloudburst update मुसीबत की बारिश से आई आपदा में मेहनत की कमाई व दुकान नदी में समाने के बाद आपदा पीड़ित की कलम से आपबीती

 जय प्रकाश राही (JP) व्यापारी, पुरोला 

आज से ठीक 1 वर्ष पुरानी बात है 10 -11 अगस्त की मध्य रात्रि को पुरोला के ऊपरी पहाड़ों पर हुई अतिरिक्त वर्षा के कारण कुमोला खड़  में भारी


जल आने से 7 दुकाने  बह गई थी जिसमें से एक दुकान मेरी भी थी दुकान की सूचना मुझे मेरे माता-पिता ने रात को लगभग 3:00 बजे दी क्योंकि मैं पुरोला में नहीं था जिस कारण में तुरंत पुरोला नहीं आ सकता था मैं पूरी रात सोया नहीं सुबह होते ही मैंने अपने मित्र वा छोटा भाई कुलदीप KD जो एक्सिस बैंक उत्तरकाशी में कार्यरत है को लेकर पुरोला के लिए चला ।

नौगांव के पास रास्ता बंद था गाड़ी वहीं खड़ी कर हमको मंजियाली गांव होते हुए पैदल सुनारा छानी पहुंचना पड़ा जहां पहले से ही मेरा मित्र अजय हिमानी पहुंचा हुआ था हम ठीक 6:00 बजे पुरोला पहुंचे मैंने देखा जहां एक रोज पहले तक सब कुछ सामान्य था अब वहां कुछ नहीं है मेरी दुकान वा मेरे बगल में एक tailoring tailoring शॉप नदी के बीच में पहुंच गई है मेरी आंखों में आंसू थे और मैं कुछ नहीं बोल पा रहा था इसी बीच मेरे मित्र संतोष (पुरन) ने मुझे धैर्य रखने को कहा एवं मुझे कहा की चलो दुकान पर चढ़ते हैं शायद कुछ सामान बचा हो चढ़ता शब्द का प्रयोग  इसलिए कर रहा हूं क्योंकि दुकान का शटर ऊपर की तरफ था जैसे तैसे हम दोनों ऊपर चढ़कर शटर  खोलने में सफल हुए  तो देखा की पूरी दुकान में लगभग 8 फीट पानी भरा हुआ है मेरी दुकान में रखे हुए सामग्री कंप्यूटर प्रिंटर फोटोकॉपी मशीन और भी बहुत सामग्री  सब जल में समाए हुए थे फिर हम दोनों ने बगल वाली दुकान tailoring shop में

रखा सामान जिसमें शायद कुछ बच गया हो देखने की कोशिश की उस दुकान में सब कुछ ठीक था हमने वह सामान निकाल तब तक हमारी दुकान के सामने सब्जी भंडार वाले जगजीवन जी भी साथ आ गए हम तीनों ने जैसे तैसे वह सब सामान निकाला परंतु मेरी दुकान का सामान अभी भी पानी के अंदर ही फंसा हुआ था मेरे अंदर जिज्ञासा थी शायद कुछ बच जाए फिर मैं पानी के कम होने के इंतजार में  सुबह से शाम हुई 

वा शाम से सुबह सुबह पुनः जाकर हमने देखा की दुकान में थोड़ा पानी कम हो गया है मैंने अपने रिश्तेदारों को मित्रों को फोन किया की पानी कम हो गया है हम दुकान को किसी और से तोड़कर सामान बाहर निकलते हैं वह एवं सामान चेक करते हैं की क्या-क्या बचा हुआ है मैं सोच ही रहा था इतने में मेरे पापा जी ने एक तरफ से तोड़ना शुरू कर दिया जब आधा 1 घंटे बाद मुझे पता लगा की पापा जी दुकान को एक तरफ से तोड़ रहे हैं तो मैं संतोष, सचिन एवं  मेरे साले दीपक अरुण और सूरज भी तोड़ने में पापा जी की मदद करने लगे लगभग दो-तीन घंटे की मेहनत के बाद हम दीवार को तोड़ पाए संतोष ने अंदर जाकर देखा और कहा भाई कुछ भी नहीं बचा तो मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई क्योंकि इस दुकान में रखी प्रत्येक सामग्री मैंने एक एक कर कर कट्टी की थी जिसके लिए मुझे किसी के द्वारा कोई भी सहायता नहीं मिली थी परंतु होनी को कौन टाल सकता है मैंने कहा देखो कुछ ना कुछ तो मिलेगा उसने कहा शायद पंखा काम आ सकता है मैंने कहा निकालो जो भी निकलता है निकालो फिर उन सब ने एक-एक करके प्रत्येक चीज को निकालना शुरू किया इतने में मेरा चचेरा भाई सुभाष वा मेरा भाई दीपक भी आ गया फिर हम सब ने सारी सामग्री को निकालकर हमारे एक खेत में रख दिया सब सामग्री देखने से पता लगा कि कुछ सामग्री तो दुकान के पीछे वाले दरवाजे को तोड़कर पानी के साथ बहाव में बह गई है फिर वह सामग्री इकट्ठा करने के बाद एक कबाड़ी वाला आया उसने कहा भाई जी इस सामग्री को बेचना है इलेक्ट्रॉनिक आइटम तो सारे खराब हो चुके थे कुछ भी काम आने वाला नहीं था तो मैंने भी हामी भर दी मैंने कहा कितना देगा उसने कहा भाई जी 1500 सो रुपए मैंने कहा भाई 3 महीने पहले ही 1 मशीन खरीदी है फोटोकॉपी की ₹45000 की आज उसको जोड़कर सब चीजों का  ₹1500 बोल रहा है उसने कहा भाई जी बेचनी है तो बोलो नहीं तो मैं जाता हूं मैंने उसे मना कर दिया मैंने कहा कि मैं आते जाते उस सामग्री को देखता रहूंगा इसी में खुश हो जाऊंगा कि मैंने यह सामग्री खरीदी थी फिर मैं घर आ गया अगले दिन अखबारों में सोशल मीडिया में चारों तरफ कुमोला खड़ में आई भयंकर बाढ़ की खबरें छाई हुई थी मुझे लगा शायद सरकार हमारी सुध लेगी और कुछ ना कुछ मुआवजा तो देगी परंतु ऐसा  हुआ नहीं अगले दिन माननीय विधायक भी घटनास्थल पर पहुंचे उन्होंने हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया मैं भी उनसे मिलने मित्र अजय हिमानी के साथ पुरौला लोक निर्माण विभाग के अतिथि गृह में  गया दूसरे दिन सुबह विधायक जी राशन वितरण करने लगे ! जिसको लेने से मैंने साफ मना कर दिया क्योंकि राशन लेने का मतलब यह था कि ................

मैं पुनः में पटवारी देवदुंग के पास गया उनसे  बात की उन्होंने कहा कि हमने स्थलीय निरीक्षण कर रिपोर्ट जिलाधिकारी कार्यालय उत्तरकाशी को प्रेषित कर दी है कुछ दिनों तक दाएं बाएं घूमने के बाद में मुझे अकल आई की मैं व्यर्थ में ही पत्थरों के आगे विनती कर रहा हूं इतने में मेरे मित्र चंचल जोशी तत्कालीन शाखा प्रबंधक पंजाब नेशनल बैंक पुरोला से बात की तो उन्होंने कहा कि आप एक स्टार्टअप लोन ले लीजिए मैंने मना कर दिया फिर उन्होंने मेरी पत्नी के नाम पर एक लिमिट बनवा दी एवं उस लिमिट की धनराशि से पुनः व्यापार शुरू करने की कोशिश करने को कहा मेरी धर्मपत्नी ने भी तुरंत बैंक जाकर सभी कागजी कार्रवाई पूरी कर ली  जिसकी जानकारी मुझे बाद में मिली फिर मेरी पत्नी के आग्रह पर मेरे द्वारा सामग्री क्रय कर ली अब बात आती है दुकान की दुकान कहां मिलेगी इसमें भी मेरा मार्गदर्शन मेरे मित्र संतोष अनमोल इलेक्ट्रॉनिक्स वा नीरज राज वार्ड क्लास बैकरी ने किया एवं दुकान मिल गई आज उस घटना को एक वर्ष व्यतीत हो गया है परंतु लगता है कि कल की ही बात है जिसने मुझे मेरे अपने पराई सबको दिखा दिया कौन मेरे साथ है कौन मेरे साथ नहीं है और जिनके लिए मैं कभी दिन कभी रात नहीं देखा करता था वह भी दिख गए खैर छोड़ो यह सब तो सांसारिक मोह माया है पर इंसान का कर्म सर्वश्रेष्ठ होता है इंसान को सिर्फ कर्म करना चाहिए बाकी सब वह परमपिता स्वयं करता है शायद परमपिता को यही मंजूर था कि यह पहले से ज्यादा मजबूत एवं दृढ़ संकल्प वाला व्यक्ति बने मेरा बुरे समय में साथ देने वाले सभी साथियों मित्रों दोस्तों रिश्तेदारों का मैं धन्यवाद देता हूं🙏

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