रंवाई का प्रसिद्ध देवलांग महापर्व आज । अरणु बिंयाली जंगल से देवलांग मेले में लाया जाता है देवदार का पेड़। रंवाई एवम बनाल पट्टी के 52 से अधिक गांवों का पवित्र त्योहार है देवलांग ।

 गजेंद्र सिंह चौहान, पुरोला

 बनांल पट्टी के गैर गांव में हर वर्ष आयोजित होने वाले देवलांग महापर्व की तैयारियां जोरों पर है । बनाल पट्टी , रामा सेराई एवम कमल सेराई के  52 से अधिक गांवों  के सबसे बड़े राजकीय मेले देवलांग महापर्व  को लेकर जनमानस में भारी उत्साह है । विदित है कि क्षेत्र के आराध्य देव राजा रघुनाथ के गैर मंदिर प्रांगण में मंगसीर बग्वाल के दिन हर वर्ष देवलांग के दर्शनार्थ भारी संख्या में लोगो का हुजूम उमड़ता है। 


 

     देवलांग महापर्व पर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए चक चौबंद व्यवस्था को बनाने हेतु बनाल पट्टी के दोनों तोको साठी-पांसाई के जनमानस युद्धस्तर पर कार्य कर रहे हैं ।

देवलांग क्या है

देवलांग देवदार वृक्ष की एक बड़ी मशाल है जिसे महापर्व के दिन साठी- पांसाई तोको के लोग बियाली के जंगल से सुरक्षित रघुनाथ मन्दिर प्रांगण गैर बनाल में लाते हैं । तत्पश्चात साठी-पानशाही थोकों के लोग देवदार के विशालकाय वृक्ष पर लकड़ियां बांधते हैं व शुभ मुहर्त पर देवलांग को खड़ाकर आग लगाई जाती हैं । मंदिर प्रांगण में खड़ा करके उस पर आग जलाते हैं । अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक मेले को देखने को रवांई, जोनपुर जौनसार,बाबर समेत दूर-दूर से लोग भारी संख्या में आते हैं।


 देवलांग महापर्व रंवाई घाटी की समृद्धशाली परम्परा व सांस्कृति का प्रतीक है को उत्तराखंड सरकार ने राजकीय मेले का दर्जा दिया है ।

   रवांई घाटी की समृद्धि व विशालता की अनूठी परंपरा तथा संस्कृति को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने देवलांग मेले को राजकीय मेले का दर्जा दिया है।

देवलांग महापर्व को लेकर  स्थानीय युवाओं में भी भारी उत्साह है । स्थानीय युवा आशीष उनियाल, बीडीसी सदस्य प्रेम सिंह चौहान व बरिष्ठ पत्रकार एवम रघुनाथ महाराज के पुजारी सच्चिदानंद नोटियाल ने बताया कि लोगो मे भारी उत्साह है व बाहर से लोगो का बनाल पट्टी के गांवों में आगमन हो रहा है ।

     

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