अष्टादश महापुराण के अष्टम दिवस दूर- दूर से आये श्रद्धालुओं ने महापुराणों के अमृतपान के साथ ईष्ट देवताओं के दर्शन किये । ब्रह्मांड पुराण के वक्ता आचार्य लोकेश बड़ोनी ने जावा- सुमात्रा से हिंदुकुश पर्वत तक फैले अखण्ड भारत के दर्शन कराते हुये इसे पुराणों में वर्णित सात द्वीपो में एक अजनांबखण्ड बताया ।

गजेन्द्र सिंह चौहान, पुरोला

 धर्म व अध्यात्म नगरी पुुरोला में चल रहे अष्टादश महापुराण महायज्ञ के अमृतरस में डुबकी लगाने को दूर- दूर से श्रद्धालुओं का आना जारी है । महायज्ञ के अष्टम दिवस व्यास पीठ पर विराजमान मुख्य व्यास आचार्य शिवप्रसाद नोटियाल ने कहा कि कुमदेश्वर नागराज मन्दिर अब एक तीर्थ बन गया है


। इस तीर्थ में इस वर्ष 18 महापुराणों का यज्ञ किया गया , आगामी वर्ष 108 भागवत महापुराण के साथ महायज्ञ किया जायेगा ।



इससे पूर्व शुक्रवार को व्यासपीठ पर विराजमान ब्रह्याण्ड पुराण के ज्ञाता आचार्य लोकेश बड़ोनी ने कहा कि ये पुराण पृत्वी, सूर्य, आकाश, ग्रहों, चन्द्रमाओ, तारो व आकाश गंगाओं के बनने के बारे में तथ्यात्मक ज्ञान का प्रकाश देता है । महाप्रलय के बाद बाद सबकुछ एक परम शून्य में समा जाता है । जिसमें महाविस्फोट के बाद फैलाव होता है , जिससे पृत्वी, अग्नि, वायु, आकाश व जल तत्व का निर्माण हुआ है । इन्ही पांच तत्व से ही सूर्य, ग्रह, तारो व आकाश गंगाओं का निर्माण हुआ है । उन्होंने बताया कि ब्रह्याण्ड पुराण आधुनिक खगोल विज्ञान से भी आगे का विज्ञान है, जिसमें बताये दर्शन से भारत अंतरिक्ष मे भी महाशक्ति बनने जा रहा है ।


ब्रह्याण्ड पुराण में पृथ्वी पर सात द्वीपो का होना बताया गया है, जिसमे जम्बूद्वीप यानी भारत को अजनानबखण्ड कहा गया है । उन्होंने बताया कि भारतीय दर्शन दक्षिण-पूर्व में जावा- सुमात्रा से लेकर उत्तर- पश्चिम में हिंदुकुश पर्वत तक फैला हुआ था , जिससे एक मजबूत व शक्तिशाली राष्ट्र अखण्ड भारत का निर्माण हुआ था । कालांतर में राजाओं की आपसी कलह व विदेशी आक्रांताओं ने भारत को कमजोर किया पर भारतीय दर्शन के बूते एक बार फिर भारत का गौरव लौट रहा है व एक बार फिर अखण्ड भारत का पुनःनिर्माण होगा ।


 

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