गजेन्द्र सिंह चौहान पुरोला
राजनीति संभावनाओं का खेल है ओर पुरोला की राजनीति में इन संभावनाओं का सबसे बड़ा खिलाड़ी राजेश जुवांठा है । राजेश जुवांठा की पुरोला की राजनीति में जब भी एंट्री होती है तो धमाका जरूर होता है । पहली बार 2007 मे एंट्री की तो मालचंद जैसे कद्दावर व्यक्ति को चुनाव में पटकनी देते हुए पुरोला के विधायक बने । लेकिन दुर्भाग्यवस इस धमाकेदार एंट्री के बावजूद वे इस धमाल को कायम नही रख सके ।
2012 में चुनाव हारने के बाद वे ज्यादा सक्रिय नही रहे फलस्वरूप येन 2017 चुनाव के वक्त उनका टिकट कट गया । उसके बाद भी उनको मानो विरक्ति आ गई , फलस्वरूप उनके समर्थक भी निराश होकर अन्य नेताओं की तरफ रुख कर रहे थे । लेकिन हाल ही में जुवांठा ने जनसंपर्क में तेजी लाकर अपने विरोधियों को करारा जवाब दिया है । राजेश जुवांठा के साथ के साथ नीरज राणा, कुलदीप चौहान, उपेन्द्र चौहान, मोहब्बत नेगी, भरत लाल, प्रदीप राणा, जगमोहन रावत, महेश बुटोला कुलदीप पंवार आदि ऊर्जावान युवा कंदे से कदा मिलाकर चल रहे हैं ।
नीरज राणा बताते हैं कि जुवांठा के समर्थन में आये अधिकांस युवा बिना किसी रागद्वेष के उनके लिए कार्य कर रहे हैं व सभी का अन्य नेताओं के झूठे वादों से मोहभंग हो चुका है । उन्होंने कहा कि राजेश जुवांठा ने विधायक रहते हुए किसी से भी कमीशन नही मांगी जो अपने आप मे उनकी ईमानदारी का बड़ा सबूत है ।
वही राजेश जुवांठा की सक्रियता का असर अन्य नेताओं पर पड़ना स्वाभाविक है , जहां पूर्व विधायक मालचंद के कांग्रेस में जाने की अटकलें लगाई जा रही है । वही प्रकाश डबराल राजेश जुवांठा की सक्रियता व मालचंद के कांग्रेस में जाने की अटकलो के चलते आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए है । कल आप के प्रदेश अध्यक्ष अजय कोठियाल व दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उत्तरकाशी में उन्हें पार्टी की सदस्यता दी है ।
खैर राजनीतिक सहमात के खेल में गत विधानसभा चुनाव में राजकुमार ने टिकट कटने से बीजेपी छोड़ कांग्रेस का दामन थामा व चुनाव जीतकर पुरोला के विधायक बने । इसबार भी उन्होंने पारी की सुरुवात करते हुए कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया । उसके बाद पुरोला की राजनीति के अन्य खिलाड़ी दुर्गेश लाल ने बीजेपी छोड़ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की । कल प्रकाश डबराल कांग्रेस छोड़ आप में चले गये, वही मालचंद के बारे में तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही है , यद्यपि मालचंद ने बीजेपी छोड़ने के बारे में न तो कोई बयान दिया है ओर न ही संकेत ।
इस सबके बावजूद राजेश जुवांठा अपने समर्थकों को इकट्ठा करने में लगे हुए हैं ओर समर्थकों की राय पर ही अगल कदम उठाएंगे ।
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