असली मुद्दा मालचंद की लोकप्रियता व राजकुमार का विजन
मालचंद के खिलाफ भाजपा संगठन या संगठन के खिलाफ मालचंद । देखिये पुरोला विधानसभा में राजनीतिक सहमात पर नमोन्यूज की खास रिपोर्ट
गजेन्द्र सिंह चौहान पुरोला 13 नवम्बर 2021
मालचंद के अगले कदम पर टिकी हैं सबकी नजर, राजेश का दावा टिकट उन्हें ही मिलेगा । अभी तक बाजी राजकुमार के हाथ मे या दुर्गेश की बन रही हैं संभावनाएं ।
12 नवम्बर पुरोला
चुनाव पूर्व सर्वेक्षण पर नमोन्यूज की खास रिपोर्ट / गजेन्द्र सिंह चौहान पुरोला
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए अब समय कम रह गया है व संभावित प्रत्याशी अपनी अपनी तैयारियों के साथ दलबदल को भी हथियार बना रहे हैं । वही जनता भी दिनभर राजनीतिक संभावनाओं पर चर्चा करते रहते हैं । पुरोला में भी लोगो के बीच बहस का होना लाजिमी है । अब तक के चार कार्यकाल में 3 विधायक दे चुकी पुरोला की जनता ने सत्ता का स्वाद नही चका है , जिसका दुष्परिणाम यहाँ की जनता को आधुनिक विकास से दूर रहकर भुगतना पड़ रहा है । यहाँ से हमेशा विपक्ष का व्यक्ति ही विधायक बनता आ रहा है ।
विकास के नाम पर यहाँ सक्रिय चन्द दलालों की पों बारह हो रही है, इन दलालों की अधिकारियों के साथ मिलीभगत का परिणाम है कि यहाँ अरबो रुपये की कागजी योजनाओं को डकारा जा रहा है । भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिलकर दलाल यहां के जंगलों में अश्वमार्गो का कागजी निर्माण व छफुटियो का निर्माण कराते हैं ।
मुख्यमंत्री के विधानसभा भ्रमण पर भी दलालों की चली
विपक्ष का विधायक होने का दंश भुगत रही पुरोला की जनता को इस बार भी विकास से दूर रहे कारण था विपक्ष का विधायक उस पर टीएसआर यानी त्रीरिवेंद्र सिंह रावत के रूप मेंं चार साल तक सम्पूर्ण उत्तराखंड की जनता को ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री के रूप में झेलना पड़ा जो खूदको जनता के प्रति नही
अपितु पार्टी हाईकमान के प्रति उत्तरदायी समझते रहे इसलिए चार साल के कार्यकाल में न उन्होंने न जनता की परवाह की ओर न ही पार्टी के विधायकों की । जब विकास पटरी से उत्तर गया व जनता के बीच विरोध चरम पर पहुंच गया व विधानसभा चुनाव को नजदीक आते देख अन्ततः हाईकमान को अपने चहेते को मुख्यमंत्री पद से उतारना पड़ा।
बात पुरोला विधानसभा में विपक्ष यानी कांग्रेस विधायक राजकुमार की हो रही है, उन्होंने चुनाव प्रचार के समय जनता से वादा किया था कि अगर जनता उन्हें विधायक बनाती है तो वे कागज पर चल रही अरबो रुपये की योजनाओं को जो सिर्फ चन्द दलालों व भ्रस्ट अधिकारियो की जेबो में जा रही है के स्थान पर मेडिकल कॉलेज, इंजिनीरिंग कॉलेज, कृषि व बागवानी सहित यहां के अस्पतालों के उच्चीकरण को प्राथमिकता देंगे । दुर्भाग्यवस त्रिवेंद्र रावत के रूप में राज्य को मिला मुख्यमंत्री व उनका विपक्ष के होने के साथ साथ बीमारी से झूझने की वजह से इस संबंध में कोई ठोस कार्य न हो सका ।
जनता के बीच किये गये वादों पर खुद को खरा न उत्तरपाने से निराश राजकुमार को एक उम्मीद जगी जब बीजेपी हाईकमान ने जनता के दबाव के आगे पहले त्रिवेंद्र रावत व फिर तीरथ सिंह के स्थान पर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया । पुष्कर सिंह धामी जैसे ऊर्जावान व्यक्ति के मुख्यमंत्री बनने से राजकुमार को उम्मीदे जगी व विकास के खातिर विधायकी को दांव पर लगाते हुए उन्होंने दिल्ली में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली ।
जिसका असर तुरंत देखने को मिला व पहली नवम्बर को नौगांव में मुख्यमंत्री के भ्रमण का कार्यक्रम बना जिसमें नौगांव में कृषि मंडी व आराकोट में कोल्ड स्टोरेज का शिलान्यास किया गया ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा नौगांव इंटर कॉलेज में जनसभा को संबोधित किया गया लेकिन यहाँ भी दलालों की चली व राजकुमार मुख्यमंत्री को क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, कृषि एवम बागवानी कॉलेज , नौगांव एवम पुरोला के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के उच्चीकरण सहित पुरोला के लिए बाईपास व बेष्टि से रामाबेंड को मोटर मार्ग से जोड़ने वाली जैसी योजनाओं के संबंध में मांगपत्र ही नही दे सके । जिसकारण मंच से मुख्यमंत्री ने जन भावनाओं के विपरीत छफुटियो तक कि घोषणाये कर दी । जिसका जनता के बीच खूब विरोध हो रहा है , जनता का कहना है कि इस तरह की घोषणाओं की मुख्यमंत्री से अपेक्षा नही थी , ऐसी योजनाओं को तो ग्राम पंचायत की खुली बैठक में मनरेगा के माध्यम से कराया जा सकता था ।
विधायक राजकुमार ने हार नही मानी व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का पुनः क्षेत्र भ्रमण का कार्यक्रम बनाया है , इसबार कार्यक्रम स्थल नौगांव की अपेक्षा गून्दियाटगाँव होगा व सभी जनहितैषी योजनाओं को मांगपत्र में शामिल करने के साथ साथ पुरोला को जिला बनाने की भी मांग की जायेगी ।
पूर्व विधायक मालचंद से पहले दुर्गेश लाल का ये कदम भी चर्चा का विषय बना
खैर राजकुमार ने विकास की खातिर कॉंग्रेस को छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया । लेकिन उससे बीजेपी में पहले से ही मौजूद दो पूर्व विधायकों व 2017 में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके दुर्गेश लाल को राजकुमार का बीजेपी में आना असहज कर गया । असहज होने की सबसे बड़ी वजह थी कि बीजेपी में शामिल होने की खुशी में राजकुमार का डामटा से लेकर पुरोला तक बीजेपी कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया । स्वागत कार्यक्रम में में पूर्व विधायक मालचंद व दुर्गेश समर्थक तमाम बीजेपी कार्यकर्ताओं राजकुमार का जोरदार स्वागत करते हुए उनके समर्थन में खूब नारे लगाए ।
खैर 2017 में धमाल मचाने के बाद दुर्गेश बीजेपी के लोकलुभावन नारो के भंवर जाल में फंस गए व अपने समर्थकों का ख्याल किये बिना चन्द समर्थकों सहित बीजेपी में शामिल हो गये । उसके बाद दुर्गेश लगातार बीजेपी के कार्यक्रमो में हिस्सा लेते रहे व पार्टी की रीति व नीति के प्रति बफादार बने रहे । लेकिन बीजेपी के द्वारा दिये गये लॉलीपॉप से अन्ततः दुर्गेश लाल का मोहभंग हो गया व उन्होंने 9 नवम्बर को राज्य स्थापना दिवस पर कांग्रेस में जाने का फैसला कर लिया पर किसी वजह से उनकी उस दिन कांग्रेस में जोइनिंग नही हो पाई , खैर अटकलो को विराम लगाते हुए अगले दिन यानी 10 नवम्बर को उन्होंने देहरादून में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली ।
पूर्व विधायक मालचंद से पूर्व एक ओर पूर्व विधायक राजेश जुवांठा की चर्चा जरूरी है
राजेश जुवांठा पूर्व पर्वतीय विकास मंत्री व विकास पुरूष स्वर्गीय बीएल जुवांठा के ज्येष्ठ पुत्र है , जनता ने उनमें उनके पिता की छवि देखी व उन्हें विधायक बना दिया खैर राजेश जुवांठा ऐसे व्यक्ति है जिनके बारे में ईमानदारी से कहे तो वे ऐसे व्यक्ति है जिनसे जनता का मोहभंग नही हुआ अपितु ये कहे कि जनता से उनका मोहभंग हो रखा है । ये बात बिल्कुल सत्य है राजेश जुवांठा के बारे में यही कहा जाता है कि वे जनता से दूरी बनाकर रखते हैं व अपने विकासनगर आवास से जब भी पुरोला आते हैं तो बिना जनसंपर्क किये विकासनगर को प्रस्थान कर देते हैं ।
खैर पहली बार कांग्रेस के टिकट पर मालचंद को हराकर राजेश विधायक बने व दूसरी बार पुनः मालचंद उनको हराकर चुनाव जीते लेकिन तीसरी बार कांग्रेस ने उन्हें टिकट नही दिया व वे कांग्रेस छोड़ बीजेपी में सामिल हो गये व मालचंद को समर्थन करते हुए उनके लिए खूब प्रचार किया ।
खैर तबसे वे बीजेपी में हैं ओर कल ही पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाऊस पुरोला में कार्यकर्ताओं संग बैठक कर उन्होंने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है ।
खैर इन सबके बावजूद जनता के बीच राजेश जुवांठा की छवि एक ईमानदार नेता की है । जनता उनके बारे में डफर व ठग जैसे शब्दों का स्तेमाल गलती से भी नही करती है । उनके बारे में विधायक निधि से कमीशन खाने की बात नही सुनी जाती है । कुल मिलाकर जनता के बीच मे वे लोकप्रिय है व उन्हें इस लोकप्रियता को भुनाने के लिए अच्छे सलाहकारों की आवश्यकता है ।
पूर्व विधायक मालचंद पर सबकी नजर वे बीजेपी में ही रहेंगे या कांग्रेस में जायेंगे । खैर पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का टिकट मिलने के बावजूद, अधिकतर बीजेपी पदाधिकारियो व संघ कार्यकार्ता जो शायद 70 के लगभग रहे होंगे ने मिलकर उनके खिलाफ कार्य किया । जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें मामूली अंतर से हार का सामाना करना पड़ा ।
खैर पूर्व विधायक मालचंद का अगला कदम क्या होगा इस पर अगले एपिसोड में हम फूल स्टोरी के साथ जल्दी ही पुन्ह हाजिर होंगे
डिस्क्लेमर : उपरोक्त लिखे गए सभी तथ्य सामान्य बातचीत के आधार पर है, पोस्ट का उद्देश्य न किसी का प्रचार करना है ओर न किसी महिमामंडन
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