मुगलो ने खण्डित की थी विश्व प्रसिद्ध महामड़ेश्वर ( लाखामण्डल ) मन्दिर की मूर्तियों को

लाखामण्डल से कुलदीप चौहान की रिपोर्ट
देवों की देव भूमि उत्तराखंड के जौनसार बावर लाखामंडल के बारे में मन्दिर पुजारी पण्डित सन्तराम जी से कुलदीप चौहान की बातचीत ।

              उत्तराखंड एक बेहतरीन पर्यटक स्थल तो है ही लेकिन ये अपने आध्यत्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। उत्तराखंड की राजधानी, देहरादून से कुछ दूरी पर लाखामंडल नामक स्थान है।


जहां महाभारत से संबंधित तथ्य , साक्ष्य आज भी मौजूद हैं  लिखित रूप से पढ़ा था कि  महाभारत काल में पांडवों को जीवित आग में भस्म करने के लिए उनके चचेरे भाई कौरवों ने यहीं लाक्षागृह का निर्माण करवाया था परन्तु बिधुर को दिव्य शक्ति होने से इसकी भनक पहले ही लग जाती है जिस कारण पांडवों को बचाने के लिए एक गुफा का निर्माण किया जिसको आज भी देखा जा सकता है ।
https://youtu.be/u-Zn327IE9c
लाखामंडल में कही दृष्य आज देखने को मिले जिसमें एक शिवलिंग भी स्थापित है जिसको
पांडवों को अज्ञातवास के दौरान इस स्थान पर स्वयं युधिष्ठिर ने शिवलिंग को स्थापित किया था। इस शिवलिंग को आज भी महामंडेश्वर नाम से जाना जाता है।
जहां युधिष्ठिर ने शिवलिंग स्थापित किया था  शिवलिंग के ठीक सामने दो द्वारपाल पश्चिम की तरफ मुंह करके खड़े हुए दिखते हैं।
ऐसी मान्यता है कि अगर किसी शव को इन द्वारपालों के सामने रखकर मंदिर के पुजारी उस पर पवित्र जल छिड़कें तो वह मृत व्यक्ति कुछ समय के लिए पुन: जीवित हो उठता है ।
जीवित होने के बाद वह भगवान का नाम लेता है और उसे गंगाजल प्रदान किया जाता है। गंगाजल ग्रहण करते ही उसकी आत्मा फिर से शरीर त्यागकर चली जाती है। परन्तु एक द्वारपाल का हाथ एक कटा हुआ है जो एक रहस्यमय है

महामंडलेश्वर शिवलिंग के विषय में माना जाता है कि जो भी स्त्री, पुत्र प्राप्ति के उद्देश्य से महाशिवरात्रि की रात मंदिर के मुख्य द्वार पर बैठकर शिवालय के दीपक को एकटक निहारते हुए शिवमंत्र का जाप करती है, उसे एक साल के भीतर पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

लाखामंडल में बने इस शिवलिंग की एक अन्य खासियत यह है कि जब भी कोई व्यक्ति इस शिवलिंग का जलाभिषेक करता है तो उसे इसमें अपने चेहरे की आकृति स्पष्ट नजर आती है जिसको आज  मेने प्रयोगात्मक करके देखा

                   स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता, भगवान महादेव अपने दर पर आने वाले भक्तों की मनोकामना अवश्य ही पूरी करते हैं। यहां पर आकर भगवान शिव की आराधना करने से समस्त पापों का नाश होता है 
       

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