अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम कई बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चर्चा में रहा, लेकिन उन्हें अब तक यह सम्मान नहीं मिला। ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान मध्य पूर्व में शांति समझौते, उत्तर कोरिया से वार्ता, और अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी जैसे कदम उठाए थे, जिनके बाद उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान मिलेगा।
हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, नोबेल समिति पुरस्कार देते समय केवल पहल नहीं, बल्कि उसके दीर्घकालिक प्रभाव और स्थायित्व को भी देखती है। ट्रंप के कुछ कदमों को शांति की दिशा में माना गया, लेकिन कई नीतियों—जैसे ईरान परमाणु समझौते से बाहर निकलना, पेरिस जलवायु समझौते का विरोध, और आंतरिक विभाजन बढ़ाने वाली बयानबाज़ी—ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया।
राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि शांति के बजाय टकरावपूर्ण रुख और राजनैतिक ध्रुवीकरण ने ट्रंप की उम्मीदों को कमजोर किया।
नोबेल समिति ने भी कभी आधिकारिक तौर पर ट्रंप के नाम पर टिप्पणी नहीं की, लेकिन माना जा रहा है कि उनके कार्यों में स्थायी वैश्विक शांति की झलक नहीं दिखी।
इस तरह, भले ही ट्रंप ने कई बार दावा किया कि वे नोबेल के हकदार हैं, लेकिन उनकी नीतियों की विवादास्पद प्रकृति ने उन्हें यह सम्मान मिलने से रोक दिया। से

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