हरीश डिमरी, पोन्टी, बड़कोट
नौगांव प्रखंड के पौन्टी गांव में रामलीला क मंचन के तीसरे दिन राजा जनक व रानी ने सोने का हल चलाया जिसके फलस्वरूप कलस से एक कन्या का जन्म हुआ ।
राजा जनक ने कन्या को कलश से बाहर निकालकर पुत्री रूप में प्राप्त कर सीता नाम दिया । राजा जनक निसंतान थे इसलिए पुत्री को पाकर राजा-रानी अत्यंत प्रसन्न हुये। हल के जिसे हिस्से से टकराकर माता सीता मिलीं थीं उसे सीत कहा जाता है, इसलिए ही उनका नाम सीता रखा गया। वहीं जनक पुत्री के रूप में उन्हें जानकी नाम से भी जाना गया।
महाऋषि वाल्मीकि रचित रामायण के अनुसार एक बार मिथिला में भयंकर सूखा पड़ा चारों तरफ पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ था जिससे राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे । तब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए ऋषि मुनियों ने यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया। उस सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ करवाया व उसके बाद राजा धरती जोतने लगे। तभी उनका हल एक कलस से टकराया जिसमे एक सुंदर कन्या मिली। उस कन्या को हाथों में लेकर राजा जनक ने उसे 'सीता' नाम दिया और उसे अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया।
इसके साथ ही राम - लक्ष्मण का ऋषि विश्वामित्र के साथ गमन एवम मारीच- सुबाहु व ताडिका वध लीला का सजीव मंचन के दर्शकों ने जय श्रीराम के जयकारों लगाए ।
पौन्टी में हर साल धूमधाम से रामलीला का आयोजन किया जाता है। रामलीला कमेंटी संचालक संजय चौहान. मनोज भण्डारी. मनीष असवाल. प्रदीप भण्डारी प्रवेश तिवारी, अखिलेश भण्डारी अंकित.सुमित चौहान ममलेश डिमरी. शिवराज रावत.मोहित पंवार .अंशुल भण्डारी एवम आस पास से आये दर्शकों ने भगवान राम की लीलाओं का आनंद उठाया ।
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