अष्टोत्तरशत भागवत महायज्ञ के समापन दिवस पर उमड़ा जनसैलाब । यज्ञ में प्रतिभाग कर रहे देवी देवताओं ,व्यासगणो, पुजारियों व पंडितों को दी गई पारम्परिक रीति रिवाज से विदाई ।

गजेन्द्र सिंह चौहान, पुरोला/उत्तरकाशी

 पुरोला के कुमुदेश्वर नागराज मंदिर परिसर में आयोजित  अष्टोत्तरशत भागवत महायज्ञ के समापन दिवस मंगलवार को रंवाई घाटी के विभिन्न गांवों से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी ।  कथा श्रवण को आये श्रद्धालुओं ने कथा समापन के उपरांत विशाल भंडारे में प्रसाद ग्रहण कर देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया । 


  अंतिम दिबस पर महा भंडारे के साथ महायज्ञ में प्रतिभाग कर रहे ईष्ट देवताओं,पुजारियों, पंडितों , व्यासगणो व मुख्य व्यास पंडित शिव प्रसाद नोटियाल को यज्ञ समिति ने पारम्परिक रीतिरिवाज के साथ बिदाई दी।

       कथा पुराण के समापन दिवस पर मुख्य व्यास पंडित शिवप्रसाद नौटियाल ने भागवत महापुराण के दर्शन पर व्याख्यान देते हुए कहा कि माता-पिता व गुरु का सम्मान व सेवा किसी भी धर्म उपासना व तीर्थ ब्रत से लाखों गुना फलदायी है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा श्रवण मात्र से इंसान छल कोट व बुरी आदतों से मुक्त होकर ईश्वर के साक्षात्कार प्राप्त करता है । समापन दिवस पर अष्टोत्तरशत व्यासपीठ पर विराजमान आचार्य लोकेश बडोनी मधुरजी ने भागवत दर्शन पर व्याख्यान देते हुए भगवान विष्णु के समय समय पर हुई अवतारों का साक्षात्कार कराते हुए कहा कि भक्ति से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है , हर युग मे भगवान भक्तों के आह्वान व उनकी रक्षा के लिए मनुष्य, बराह, मत्स्य व वामन अवतार के रूप में प्रकट हुए हैं । भक्त प्रह्लाद की रक्षा को भगवान नरसिंह अवतार लिए है ।

  समापन दिवस की कथा श्रवण के उपरांत दूर दूर से आये श्रद्धालुओं ने महाभण्डारे का प्रसाद ग्रहण व्यासपीठ व देवी देवताओं से  आशीर्वाद प्राप्त किया ।।

 मुख्य व्यास शिव प्रसाद नौटियाल,मंदिर समिति अध्यक्ष उपेंद्र असवाल ,बृजमोहन सजवाण, जयवीर सिंह रावत,ओमप्रकाश,चमन प्रकाश,डॉ0 राधेश्याम बिजल्वाण आदि लोगों ने सात दिनों तक पुराण श्रवण करने वाले श्रृद्धालुओं,देवताओं के पुजारियों,पंडितों एवं अष्टादश महापुराण कथा वक्ताओं,जनता व जनप्रतिनिधियों का आभार व्यक्त कर विदाई दी।

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