पुरोला विधानसभा के अंतर्गत दलित युवक के साथ हुई कतिथ मारपीट व जलाने की घटना पर आचार्य लोकेश बडोनी मधुरजी की बेबाक बयानबाजी के बीच पूर्व राज्यसभा सांसद तरुण विजय से एक सवाल, आखिर सांसद रहते हुए क्यों नही बैनॉल तक सड़क बनाने की याद आई ।

 गजेंद्र सिंह चौहान, पुरोला

बीते 9- 10 जनवरी को पुरोला विधानसभा के अंतर्गत मोरी तहसील के बैनॉल गांव में अनुसूचित जाति के युवक के साथ हुई कथित मारपीट के बाद क्षेत्र में पनपते आक्रोश के बीच पुरोला जातीय टूरिज्म का हॉटस्पॉट बन गया है । 


  9 जनवरी रात्रि में मंदिर में प्रवेश करने पर अनुसूचित जाति के युवक की कतिथ पिटाई राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बनता जा रहा है । एक तरफ कतिथ मामले में तथाकथित सरकार द्वारा गैर मान्यता प्राप्त सवर्ण जाती के 5 व्यक्तियों की एससी/ एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तारी के बाद जेल भेज दिया गया है तो वही दूसरी तरफ कतिथ सरकार द्वारा गैर मान्यता प्राप्त दलित जाती से संबंधित भीम ऑर्मी ने पुरोला विधानसभा का जातीय टूरिज्म किया, उसके बाद मामला ओर भी हाइलाइट हुआ व तत्पश्चात केंद्रीय एससी/ एसटी आयोग के सदस्यों ने पुरोला विधानसभा के उक्त घटनास्थल का दौरा किया। तत्पश्चात राज्य एससी/ एसटी आयोग ने भी उक्त गांव का दौरा किया ।घटना में करणी सेना ने हस्तक्षेप करते हुए सवर्णों को न्याय दिलाने हेतु मोरी व नैटवाड़ बाजार को बंद रखा ।

दलित युवक के साथ हुई कतिथ मारपीट पर उपरोक्त कथन में सिर्फ सूक्ष्म जानकारी दी गई है, क्योंकि नमोन्यूज़ सिर्फ समाचार प्रकाशित नही करता है अपितु समाज के उत्थान, आर्थिक प्रगति, शिक्षा, सड़क व स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास के लिए जनजागरूकता के लिए समर्पित है । नमोन्यूज़ के माध्यम से धार्मिक सौहार्द के साथ साथ जातीय दूरियों व भेदभाव को समाप्त करने के लिए हम सदैव प्रयासरत हैं । उक्त घटना पर प्रसिद्ध समाजसेवी आचार्य लोकेश बडोनी ने प्रतिक्रिया देते हुए स्थानीय लोगों से बाहरी ताकतों के बहकावे में न आने की अपील की है । उन्होंने कहा कि समय आर्थिक तररक्की कर भारत को महाशक्ति बनाने के लिए कार्य करने का है न कि जातीय उन्माद फैलाने वालों के बहकावे में आने का है । उन्होंने कहा कि पूर्व सांसद तरुण विजय आज पीड़ित परिवार से मिलकर उक्त गांव तक सड़क बनाने की मांग कर रहे हैं जो कि हास्यास्पद है । क्योंकि बतौर राज्यसभा सांसद तरुण विजय ने कभी भी सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं की ओर कोई बयान नही दिया , पीड़ित परिवार से पैदल मिलने के बाद ही उन्हें सड़क की याद आई है ।

उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर हमें बेहतर समझ को विकसित करना है, जिससे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो । उन्होंने कतिथ सरकार द्वारा गैर मान्यताप्राप्त सवर्ण जाती व कतिथ सरकार द्वारा गैर मान्यता प्राप्त दलित जाती से संबंधित लोगों से अपील की है कि यदि स्थानीय देवी देवताओं के मंदिर में प्रवेश के नियम बाहरी ताकतों के दिशा निर्देश पर भी तय करने हो तो इसके लिए भी सभी स्थानीय लोगों को ही नियम तय करने पड़ेंगे ।

दलित युवक के साथ हुई कतिथ घटना के बाद पुरोला जातीय टूरिज्म का हॉटस्पॉट बना हुआ है व जातीय विद्वेष के पनपते हल्के विष के बावजूद नमोन्यूज़ जातीय सदभाव को बनाये रखने के लिए निरन्तर प्रयासरत है ।




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