पुरोला, सरकार की नई नीति के अनुसार स्थानीय ठेकेदारों में बेरोज़गारी का भय व्याप्त है। ठेकेदारों का आरोप है कि नई नीति के कारण कोई भी ठेकदार नई निविदाओं के लिए अर्ह नहीं है। आक्रोशित ठेकेदारों ने उपजिलाधिकारी पुरोला के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर नियमों को पूर्ववत करने की मांग की है ।
ज्ञापन देने वालों में ठेकेदार यूनियन अध्यक्ष दयाराम नेगी, सचिव भारत भूषण, कोषाध्यक्ष चमन प्रकाश, त्रेपन सिंह पंवार, सोहन लाल बड़ौनी, जयेंद्र सिंह, कवींद्र सिंह, रमेश पैन्यूली, मारकंडे प्रसाद, केंद्र सिंह , बिजेंद्र सिंह आदि शामिल रहे।
मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन
निवेदन इस प्रकार से है कि प्रदेश के पंजीकृत ठेकेदार सदैव प्रदेश की हर आपदा व अन्य प्रकार के आपातकालीन कार्यों में सदैव प्रदेश का काम पूरी निष्ठा से करते हैं लेकिन उनके ऊपर आये दिन नये-नये नियम बनाकर बेरोजगारी की राह पर लाया जा रहा है।
1. ठेकेदारों की सबसे प्रमुख मांग यह है कि प्रस्तावित प्राक्कलन या टी०एस० ब्रेक करने का अधिकार पूर्व की भांति सक्षम अधिकारी के पास होनी चाहिये जिससे ज्यादा छोटे टेण्डर लगे और प्रदेश के डी० व सी० श्रेणी के ठेकेदारों को काम मिल सके।
2. आपकी घोषणा के अनुसार दस करोड रूपये की धनराशि के कार्य उत्तराखण्ड के स्थानीय ठेकेदारों को मिलेंगे जबकि उत्तराखण्ड राज्य के ई० प्रोक्योरमेंट एक्ट 2025 के अनुसार टु बिड के कार्यों में समान कार्य के लिये अनुभव का मानक 80 प्रतिशत कर दिया है जबकि पूर्व में यह मानक 25 प्रतिशत है और टर्न ओवर का मानक पिछले 5 वर्षों में 200 प्रतिशत कर दिया है, जबकि यह मानक पूर्व में 50 प्रतिशत है
3. आपको अवगत कराना है कि पहले से ही ठेकेदारों के पास कार्य बहुत कम है। इस कारण ऐसे मानक बनाने से प्रदेश के ठेकेदारा पूरी तरह से बेरोजगार हो जायेंगे। प्रदेश के विकास में सहयोग देने वाले ठेकेदारों को नये नियमों के नाम पर उलझाया जा रहा है इससे ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश के ठेकेदारों को हत्तोसाहित किया जा रहा है।
उक्त समस्याओं को लेकर ठेकेदार आर्थिक व मानसिक रूप से परेशान है। अतः आपसे अनुरोध है कि उक्त समस्या को सहानुभूतिपूर्वक निदान करने का कष्ट करें।

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