उत्तराखंड राज्य में आपदा से क्षतिग्रस्त सड़कों, पुलों और सुरक्षा दीवारों की मरम्मत फिलहाल अटक सकती है। वजह है वित्त विभाग का नया आदेश ।
नए नियमों के तहत ठेकेदारों का टर्नओवर 200% तक होना अनिवार्य कर दिया गया है, जबकि पहले यह निविदा राशि का 50% था। इसी तरह धरोहर राशि 25% से बढ़ाकर 50% और अनुभव प्रमाण पत्र 25% से बढ़ाकर 80% कर दिया गया है।
स्थानीय छोटे ठेकेदारों का कहना है कि वे अधिकतर 5–10 लाख रुपए तक के काम करते रहे हैं, ऐसे में उनका टर्नओवर 50 लाख तक भी मुश्किल से पहुँचता है। नई शर्तें उनके लिए कार्य करना लगभग असंभव बना रही हैं।
उत्तराखंड कॉन्ट्रैक्टर संगठन के अध्यक्ष कमल शर्मा ने कहा कि ये शर्तें स्थानीय ठेकेदारों के हितों के खिलाफ हैं और मुख्यमंत्री धामी सरकार की उस घोषणा को भी धक्का पहुंचाती हैं, जिसमें 10 करोड़ तक की निविदा में स्थानीय ठेकेदारों को प्राथमिकता देने की बात कही गई थी।
वहीं, पुरोला, मोरी और नौगांव क्षेत्र के ठेकेदार संघों ने चेतावनी दी है कि यदि आदेश वापस नहीं लिया गया तो रंवाई ठेकेदार संघ उग्र आंदोलन करेगा। ठेकेदार फिलहाल अपने क्षेत्रीय विधायकों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज रहे हैं।
👉 सवाल यह है कि आपदा के बाद पुनर्निर्माण कार्यों की तत्काल ज़रूरत को देखते हुए क्या धामी सरकार वित्त विभाग की इस नई नीति पर पुनर्विचार करेगी?
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